भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांता पांडेय ने खुदरा निवेशकों के लिए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) जैसे जोखिम भरे डेरिवेटिव उत्पादों में ट्रेडिंग से पहले किसी भी प्रकार के एप्टीट्यूड टेस्ट की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम अव्यावहारिक है और इससे नियामकीय अतिक्रमण (Regulatory Overreach) का खतरा बढ़ सकता है।
सेबी ने पिछले साल नवंबर में डेरिवेटिव्स में अत्यधिक सट्टा गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय लागू किए थे। यह कदम सेबी के उस अध्ययन के बाद आया, जिसमें सामने आया था कि F&O में ट्रेडिंग करने वाले 90% खुदरा निवेशकों को नुकसान होता है।
जब इंडस्ट्री द्वारा सुझाए गए एप्टीट्यूड टेस्ट के प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो पांडेय ने कहा, “फिलहाल हम ऐसा कोई विचार नहीं कर रहे हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के कदमों को लागू करना न केवल कठिन होगा, बल्कि व्यावहारिकता और प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़े करेगा।
उन्होंने कहा, “अगर हम यह टेस्ट खुदरा निवेशकों के लिए अनिवार्य कर देंगे, तो कल कोई कहेगा कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले भी टेस्ट होना चाहिए। फिर यह सवाल उठेगा कि टेस्ट कौन लेगा, कैसे लिया जाएगा और पास कैसे किया जाएगा?”
पांडेय ने बताया कि सेबी के पास पहले से ही कुछ विशेष भागीदारों के लिए प्रमाणन व्यवस्था मौजूद है। जैसे, पंजीकृत निवेश सलाहकार (IA) और रिसर्च एनालिस्ट (RA) के लिए NISM सर्टिफिकेशन अनिवार्य है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि करोड़ों खुदरा निवेशकों पर इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं है।
सेबी प्रमुख ने व्यक्तिगत वित्तीय निर्णयों में लोगों की स्वतंत्रता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “लोगों को उनकी खुद की कमाई पर फैसले लेने का अधिकार मिलना चाहिए। हम ट्रेडिंग के लिए उधार लेकर निवेश (Leverage) को भी हतोत्साहित करते हैं।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जोखिम लेने की प्रवृत्ति एक मानव स्वभाव है। उन्होंने कहा, “F&O ट्रेडिंग में हर बार प्रशिक्षण देने पर आप एक चेतावनी देंगे जैसे सिगरेट पैक पर दी जाती है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन फिर भी लोग सिगरेट पीते हैं। इसी तरह, अगर ट्रेडिंग एक लत बन जाती है, तो उसे ‘डि-एडिक्शन’ के नजरिए से देखना होगा।”
पांडेय ने माना कि लोग कई बार गलतियां करके सीखते हैं और बेहतर निवेशक बन जाते हैं। उन्होंने कहा, “हमें लोगों के प्रयोग और अनुभव से सीखने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।”
उच्च जोखिम वाली ट्रेडिंग में लीवरेज को लेकर सेबी प्रमुख ने दोहराया कि सेबी का रुख स्पष्ट है – “हम लीवरेज बायआउट्स की अनुमति नहीं देते। यहां तक कि AIF (Alternative Investment Funds) में भी लीवरेज की अनुमति नहीं है।”
अंत में उन्होंने कहा, “एक लोकतांत्रिक देश में आप लोगों के जीवन और संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख सकते। उन्हें अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के साथ फैसले लेने का अधिकार मिलना चाहिए।”
Share Market को लेकर छाई दीवानगी, 1 साल में NSE में जुड़े 84 लाख डीमैट खाते
Pakistan Stock Exchange: मोदी सरकार के रुख से बरबाद हो गया पाक शेयर बाजार
First Published – May 1, 2025 | 7:16 PM IST
(बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)
Rebeca Moen Jul 20, 2025 04:57 Worldcoin gains 3.77% amid Razer…
Tata Stock: लंबी रेस का घोड़ा है ये मल्टीबैगर, कमजोर Q4 के बाद भी ब्रोकरेज…
Joerg Hiller Jul 20, 2025 18:22 BTC price holds above $118,000…
NFO: Mirae Asset का नया फंड खुला, ₹5,000 से निवेश शुरू; 5 साल से ज्यादा…
Alvin Lang Jul 20, 2025 05:08 SHIB rockets 30% in July…
₹700 तक जाएगा Cement Stock! ब्रोकरेज ने Q4 नतीजों के बाद दी BUY की सलाह,…
This website uses cookies.