लागू करने में चुनौतियां सामने आने से कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट व्यवस्था की समयसीमा एक बार फिर आगे बढ़ाकर जुलाई 2025 कर दी गई है। मई 2024 में इसे अगस्त 2024 से लागू करने की योजना थी। लेकिन इसे बाद में बढ़ाकर पहले जनवरी 2025 और फिर मार्च 2025 कर दिया गया था।
एक सूत्र ने बताया, बाजार प्रतिभागियों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने देरी के प्रमुख कारणों के रूप में परिचालन संबंधी बाधाओं का हवाला दिया है, जिनमें सिस्टम को अपग्रेड करना और हाल के नियामकीय परिवर्तनों का दबाव शामिल है। सूत्र ने कहा, नियामक यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहा है कि संपूर्ण तंत्र तैयार हो, भले ही कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट की मांग मुख्य रूप से बाजार के एक ही खंड की हो।
कॉन्ट्रैक्ट नोट में लेनदेन की जानकारियां होती हैं, जैसे शेयरों की संख्या, कीमत, ब्रोकरेज और कर। अभी हर एक्सचेंज के लिए अलग-अलग मूल्य वाले नोट जारी किए जाते हैं जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक एक ही एक्सचेंज को प्राथमिकता देते हैं। नई व्यवस्था का मकसद दोनों एक्सचेंजों में सौदों के लिए एक ही भारित औसत मूल्य (डब्ल्यूएपी) शुरू करके इसे सुव्यवस्थित करना है।
First Published – May 1, 2025 | 10:30 PM IST