रियल एस्टेट संस्थागत निवेश में विदेशी संस्थाओं का रहा दबदबा, 54 प्रतिशत रही हिस्सेदारी



नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। 2024 में भारत में रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश में विदेशी निवेशकों का दबदबा कायम रहा। यह 54 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ 3.7 बिलियन रहा। बुधवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

वेस्टियन रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, हिस्सेदारी में कमी के बावजूद, मूल्य के लिहाज से निवेश में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निवेशकों ने भी इसी ट्रेंड को फॉलो किया, क्योंकि इसी अवधि के दौरान मूल्य के लिहाज से 36 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, उनकी हिस्सेदारी पिछले वर्ष 2023 के 35 प्रतिशत से घटकर 2024 में 30 प्रतिशत हो गई।

दिलचस्प बात यह है कि 2024 में को-इंवेस्टमेंट में तेजी दर्ज की गई, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने मौजूदा व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के बीच घरेलू निवेशकों की स्थानीय विशेषज्ञता पर भरोसा किया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में प्राप्त कुल निवेश में को-इंवेस्टमेंट का हिस्सा 16 प्रतिशत था, जिससे मूल्य में 61 गुना वृद्धि दर्ज की गई।

2024 में संस्थागत निवेश 6.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 61 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज करता है।

इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग सेक्टर में निवेश के बावजूद, कमर्शियल एसेट्स 35 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ हावी रही।

रिपोर्ट में बताया गया है, “भारत में जीसीसी की मांग बढ़ रही है, इसलिए ऑफिस स्पेस की मांग में फिर से वृद्धि होने की उम्मीद है।”

दूसरी ओर, रेजिडेंशियल सेक्टर ने 2 बिलियन डॉलर के निवेश की जानकारी दी, जो 2024 में प्राप्त कुल निवेश का 30 प्रतिशत है।

पिछले वर्ष की तुलना में 2024 में निवेश में 171 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी तरह, इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग सेक्टर में 203 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई, जिसमें 2023 में 15 प्रतिशत से 2024 में 28 प्रतिशत की हिस्सेदारी बढ़ी।

वेस्टियन के सीईओ, एफआरआईसीएस, श्रीनिवास राव ने कहा, “धीमी शुरुआत के बावजूद, रियल एस्टेट सेक्टर को 2024 में संस्थागत निवेश प्राप्त हुआ, जो महामारी से पहले के स्तर को पार कर गया। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के कारण 2025 चुनौतीपूर्ण रह सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “दूसरी ओर, आरबीआई द्वारा 2025 में रेपो दर में कमी किए जाने की उम्मीद है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा। कम मॉरगेज रेट के कारण रियल एस्टेट एक्टिविटी में वृद्धि निवेशकों को आकर्षित कर सकती है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटर्न-टू-ऑफिस पॉलिसी, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी सरकारी पहल और किफायती आवास पर बढ़ते फोकस जैसे कारकों से आने वाले वर्षों में रियल एस्टेट की मांग बढ़ने की उम्मीद है। इससे निवेशक आकर्षित हो सकते हैं और उनकी भागीदारी बढ़ सकती है।

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर



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